कंप्यूटर सिस्टम के चार घटक?

कंप्यूटर सिस्टम के चार घटक:

कंप्यूटर के चार घटक जो की मुख्या रूप से बहुत जरुरी है और तो और आपके जानकारी के लिए बता दू की आप भी ऐसी जानकर दूसरे को शेयर कर सकते है

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1.Input

2.Process

3.Output

4.Memory

 

INPUT Device:-

अगर हम देखें मानवे निर्देशों को कंप्यूटर पर समझने योग्य संकेतों में परिवर्तित करने के लिए जिन युक्तियों का प्रयोग किया जाता है उन्हें हम इनपुट डिवाइस कहते हैं जैसे कि माउस और कीबोर्ड इत्यादि|

 

CPU(Central Processing Unit):-

आइए जानते हैं जानते हैं कि सीपीयू का कार्य निर्देश दिए गए डाटा को प्रोसेस करके उससे आउटपुट के रूप में सूचनाओं या परिणाम को प्रदर्शित करना होता है सीपीयू को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है|

1.CONTROL UNIT

2. ARITHMETIC LOGIC UNIT 

3.MEMORY

 

1) CONTROL UNIT:-कंट्रोल यूनिट कंप्यूटर के आंतरिक क्रियाओं को संचालित करके उन्हें नियंत्रित करती है तत्पश्चात इन क्रियाओं का ए एल यू तथा मेमोरी में आदान प्रदान करती है

2.ALU:जैसा कि जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह यूनिट सभी प्रकार के अर्थमैटिक और लॉजिकल क्रियाएं करती हैं ए एल यू कंट्रोल यूनिट से डाटा तथा निर्देशों को प्राप्त करके उन्हें क्रियान्वित करता है तत्पश्चात सभी डेटा तथा निर्देशों को सूचना के रूप में मेमोरी में भेज देता है

3:-मेमोरी

मेमोरी मुख्य प्रकार से दो होती हैं

 

1)-मुख्य मेमोरी (MAIN MEMORY):-

इस मेमोरी को मेन मेमोरी भी कहा जाता है यह दो प्रकार की होती है

 

A.RAM

B.ROM

2) सहायक मेमोरी:-

सहायक मेमोरी उसमें बाहर चुंबकीय माध्यमों जैसे हार्ड डिस्क फ्लॉपी डिस्क चुंबकीय टेप आदि के रूप में होती है

सीपीयू की गति को प्रभावित करने वाले कारक

1.WORD LENGHT

2.SYSTEM CLOCK

3.PARELLEL PROCESSING

4.CACHE MEMORY:-इसके द्वारा मेमोरी यूनिट तथा कंप्यूटर की गति से 20 समय में स्थापित किया जाता है इससे कंप्यूटर की गति में वृद्धि होती है

 

MEMORY:-

 

मेमोरी:-यह कंप्यूटर की स्टोरेज यूनिट है यह कंप्यूटर का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है इसमें हम डाटा प्रोग्राम आदि को स्टोर करके रख सकते हैं इसको नापने की साइज के आधार पर कई यूनिट है जैसे बाइट किलोबाइट मेगा बाइट गीगाबाइट एवं टेराबाइट्स में सबसे छोटी यूनिट बाइट एवं सबसे बड़ी यूनिट टेराबाइट होती है

यह मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं

1.PRIMARY MEMORY

2.SECONDARY MEMORY

 

PRIMARY MEMORY

प्राइमरी मेमोरी:- इस मेमोरी को मेन मेमोरी भी कहा जाता है यह मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं

A.RAM

B.ROM

 

RAM(Random Access Memory)

इसका पूरा नाम रैंडम एक्सेस मेमोरी है इसकी निम्न विशेषताएं होती हैं

  • इसको कंप्यूटर की प्रमुख मेमोरी कहा जाता है
  • अस्थाई मेमोरी होते हैं अर्थात इसमें स्टोर डाटा कंप्यूटर बंद होने पर भी डिलीट हो जाता है जिसका पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है
  • यह बोलेटाइल मेमोरी कहलाती है
  • यह एक semiconductor और फ्लिप से मिलकर बनी होती है
  • यह निम्न प्रकार की होती है जैसे SRAM,DRAM,SD RAM etc

SRAM:-इसका पूरा नाम स्टैटिक रेंडम एक्सेस मेमोरी है और यह FLIP-FLOP से मिलकर बनी होती है इसलिए यह कम रिफ्रेश होती है

DRAM:-इसका पूरा नाम डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी है यह मेमोरी जल्दी-जल्दी रिफ्रेश होती है रिफ्रेश का मतलब इलेक्ट्रॉनिक चार्ज और डिस्चार्ज से होता है यह एक सेकेंड में हजारों बार रिफ्रेश होती है आता इसकी गति धीमी होती है आराम की अपेक्षा सकती होती है

SD ROM:– इसका पूरा नाम सिंक्रोनस डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी है

 

NV RAM:-इसका पूरा नाम नॉन्वोलेटाइल रेंडम एक्सेस मेमोरी है इस रैम को प्रयोग नेटवर्क डिवाइस में हार्ड डिस्क के रूप में किया जाता है यह एक महंगी मेमोरी है

 

ROM (RANDOM ACCESS MEMORY)

 

ROM का पूरा नाम रीड ओनली मेमोरी है यह कंप्यूटर की प्राइमरी मेमोरी होती है यह अस्थाई मेमोरी होती है इसमें कंप्यूटर को स्टार्ट करने वाले प्राथमिक प्रोग्राम एवं सेटिंग्स होती है यह तीन प्रकार की होती है

1.PROM

2.EPROM

3.EEPROM

1.PROM:-

इसका पूरा नाम प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी है इस चीफ में एक बार प्रोग्राम स्टोर किया जा सकता था यदि प्रोग्राम में त्रुटि होने पर इसमें कोई सुधार नहीं किया जा सकता था

2.EPROM:-

इसका पूरा नाम इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी है इस चीफ में स्टोर प्रोग्राम में सुधार किया जा सकता था चिप में सुधार करने के लिए चिपको बोर्ड से निकालकर पैरा बैगनी के सामने रखा जाता था

3.EEPROM:-

इसका पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक इरेजेबल  प्रोग्रामेबल मेमोरी है इस चीप ने EPROM की समस्या को दूर किया इस चिप में स्टोर प्रोग्राम एवं डाटा में सुधार करने के लिए विद्युत का प्रयोग किया गया था आजकल के मदरबोर्ड में इसी रूम का प्रयोग किया जाता है

 

SECONDRY STORAGE DEVICE

 

SECONDRY STORAGE DEVICE को ऑग्ज़ीलियरी स्टोरेज डिवाइस भी कहा जाता है यह कंप्यूटर का भाग नहीं होती है इसकी स्टोरेज क्षमता अधिक होती है एवं डाटा को एक्सेस करने की गति प्राइमरी मेमोरी से धीमी होती है डाटा को एक्सेस करने के आधार पर यह तीन प्रकार की होती है

1.Sequencial Access Storage Device:-इस क्रिया में स्टोरेज डाटा को उसी क्रम में एक्सेस किया जाता है जिस क्रम में स्टोर किया जाता है चुंबकीय टेप इसी का उदाहरण है

2.Index Sequential Access Method:-इसमें डाटा को सीक्वेंशियल एक्सेस मेथड से ही डाटा को एक्सेस किया जाता है लेकिन इसमें डाटा को स्टोर करते समय एक इंडेक्स तैयार कर लिया जाता है

3.Direct Access Method:-इसमें डाटा को किसी भी क्रम में एक्सेस किया जा सकता है एवं किसी भी क्रम में डाटा को स्टोर किया जा सकता है इसकी एक्सेस गति सीरियल एक्सेस की तुलना में अधिक होती है

 

स्टोरेज डिवाइस के प्रकार:-

 

1.Magnetic Tape:-मैग्नेटिक टेक एक अस्थाई द्वितीयक स्टोरेज डिवाइस है इसमें एक प्लास्टिक के टिप्पर चुंबकीय पदार्थ का लेपन रहता है जिसे हम मैग्नेटिक टेप की तरह जानते हैं

2.Cartridge Tape:-इस टाइप की चौड़ाई चुंबकीय टेप से कम होती है 1970 के दशक के अंत में घरेलू कंप्यूटरों में कंपैक्ट कैसेट का प्रयोग किया जाता था जिसे हम  कार्टिजटेप के नाम से जानते हैं

3.Magnetic Tape:-आजकल डाटा को स्टोर करने के लिए कंप्यूटर में चुंबकीय डिस्क का प्रयोग किया जा रहा है चुंबकीय डिस्क दो प्रकार की होती हैं

 

1.Floppy Disk

2.Hard Disk

 

1.Hard Disk:-हार्ड डिस्क का विकास कंप्यूटर में डाटा को स्टोर करने के लिए किया गया था आज कल इसका प्रयोग कंप्यूटर से आगे बढ़कर कई क्षेत्रों में हो रहा है डिस्क की प्लेट में ट्रैक एंड सेक्टर होते हैं सेक्टर में डाटा स्टोर होता है एक सेक्टर में 512 बाइट डाटा स्टोर होता है डाटा को स्टोर एवं पढ़ने के लिए तीन तरह के समय लगने होते हैं जो निम्न है

 

1.Seek Time:-डिस्क में डाटा को रीड या राइट करने वाले ट्रैक तक पहुंचने में लगा seek टाइम कहलाता है

 

2.Letancy time:-Track मैं डाटा के सेक्टर तक पहुंच में लगा समय लेटेंसी टाइम कॉल आता है

 

3.Transfer Rate:-सेक्टर में डाटा को लिखने एवं पढ़ने में जो समय लगता है उसे ट्रांसफर रेट कहा जाता है

 

2:- Floppy disk:-फ्लॉपी डिस्क को डिटेक्ट या केवल फ्लॉपी भी कहा जाता है इसका प्रयोग माइक्रो कंप्यूटर में होता है या आकार एवं साइज के आधार पर दो प्रकार की होती है

 

1.Mini Floppy:-यह कार 5.1/4में इंच की होती है और इसकी संग्रहण क्षमता 1.2 एमबी होती है इनकी ड्राइव भी आकार में इसी के आकार की होती है

 

2.Micro Floppy:-यह आकार में 3.1/4 इंच की होती है इनकी संग्रहण क्षमता 1. 4 एमबी होती है

 

ऑप्टिकल डिस्क:- ऑप्टिकल डिस्क ब्रेक डिस्क होती है जिसमें डेटा कोरिडोर स्टोर करने के लिए लाइट का प्रयोग किया जाता है और टिकल डिस्क का लाती है इस डिस्क में एक रासायनिक पदार्थ का लेप रहता है

1 CD

2 DVD

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